वफ़ा का नाम ज़माने में आम कर जौउ,
फिर उसके बाद मैं ज़िंदा रहूं या मर जौउँ,
इलाही मुझको अता कर सदाकातों के चिराग,
मैं उनकी रोशनी लेकर नगर नगर जौउँ,
तेरी ज़ॅमी पे नाम न हो नफ़रतों का कहीं,
मूहोब्बतों के फसाने सुनू जिधर जौउँ,
मेरा वजूद ये भी तो एक मसरफ़ है,
दिलों में प्यार की मनिद मैं उतर जौउँ,
मज़ा तो जब है की दुश्मन भी मुझको याद करें,
मिसाल दोस्ती की ऐसी मैं छोड़ जौउँ...
फिर उसके बाद मैं ज़िंदा रहूं या मर जौउँ,
इलाही मुझको अता कर सदाकातों के चिराग,
मैं उनकी रोशनी लेकर नगर नगर जौउँ,
तेरी ज़ॅमी पे नाम न हो नफ़रतों का कहीं,
मूहोब्बतों के फसाने सुनू जिधर जौउँ,
मेरा वजूद ये भी तो एक मसरफ़ है,
दिलों में प्यार की मनिद मैं उतर जौउँ,
मज़ा तो जब है की दुश्मन भी मुझको याद करें,
मिसाल दोस्ती की ऐसी मैं छोड़ जौउँ...