बरसात में डूबा रहना चाहता हूँ की कोई इन अश्कों को देख ना ले
गम ये जुदाई का दर्द है कीतना ये बात तुझसे कैसे कहें
सोचता हूँ तेरे बीना ज़िंदगी का कोई कीनारा तो नहीं
पर तेरे बीना ये कश्ती मझधार में भी कैसे चले
गम ये जुदाई का दर्द है कीतना ये बात तुझसे कैसे कहें
सोचता हूँ तेरे बीना ज़िंदगी का कोई कीनारा तो नहीं
पर तेरे बीना ये कश्ती मझधार में भी कैसे चले