ये वृक्ष जो हो देखते
विराट से खड़े हुए
थे पौधे ये भी तो कभी
समय लगा बड़े हुए
हवाएं सनसनाएंगी
लहरें ज़िद पे आएँगी
बढ़े चलो चढ़े हुए
चढ़े चलो अड़े हुए
जो आँखों ने तुम्हारी देखा
कौन समझेगा यहाँ
तुम्हे पता हैं रास्ते
और मंजिलें रखी कहाँ
कदम चलेंगे और
हाथ कर्म होगा तुम से ही
गिरो अगर, डरो नहीं
गिरे कई खड़े हुए
जो हौंसला बुलंद हो
आग जब प्रचंड हो
न कोई रोक पायेगा
विश्वास जब अखंड हो
विश्वास हो खुदी पे
और खुदा पे जो है देखता
संभालता है वो तुम्हे
हों नैन जब भरे हुए
ये वृक्ष जो हो देखते
विराट से खड़े हुए
थे पौधे ये भी तो कभी
समय लगा बड़े हुए
Author : Swaraj
विराट से खड़े हुए
थे पौधे ये भी तो कभी
समय लगा बड़े हुए
हवाएं सनसनाएंगी
लहरें ज़िद पे आएँगी
बढ़े चलो चढ़े हुए
चढ़े चलो अड़े हुए
जो आँखों ने तुम्हारी देखा
कौन समझेगा यहाँ
तुम्हे पता हैं रास्ते
और मंजिलें रखी कहाँ
कदम चलेंगे और
हाथ कर्म होगा तुम से ही
गिरो अगर, डरो नहीं
गिरे कई खड़े हुए
जो हौंसला बुलंद हो
आग जब प्रचंड हो
न कोई रोक पायेगा
विश्वास जब अखंड हो
विश्वास हो खुदी पे
और खुदा पे जो है देखता
संभालता है वो तुम्हे
हों नैन जब भरे हुए
ये वृक्ष जो हो देखते
विराट से खड़े हुए
थे पौधे ये भी तो कभी
समय लगा बड़े हुए
Author : Swaraj