मैंने हर रोज़ ज़माने को रंग बदलते देखा है
उम्र के साथ ज़िंदगी को ढंग बदलते देखा है
वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान
उनको भी पाँव उठाने के लिए सहारे को तरसते देखा है
जिनकी नज़रों की चमक देख सहम जाते थे लोग
उन्ही नज़रों को बरसात की तरह रोते देखा है
जिनके हाथों के जरा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है
जिनकी आवाज़ से कभी बिजली के कड़कने का होता था भरम
उनके होंठों पर भी जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है
ये जवानी ये ताक़त ये दौलत सब ख़ुदा की इनायत है
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान हुआ देखा है
अपने आज पर इतना ना इतराना मेरे यारों
वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है
कर सको तो किसी को खुश करो
दुःख देते तो हजारों को देखा है !!
उम्र के साथ ज़िंदगी को ढंग बदलते देखा है
वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान
उनको भी पाँव उठाने के लिए सहारे को तरसते देखा है
जिनकी नज़रों की चमक देख सहम जाते थे लोग
उन्ही नज़रों को बरसात की तरह रोते देखा है
जिनके हाथों के जरा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है
जिनकी आवाज़ से कभी बिजली के कड़कने का होता था भरम
उनके होंठों पर भी जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है
ये जवानी ये ताक़त ये दौलत सब ख़ुदा की इनायत है
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान हुआ देखा है
अपने आज पर इतना ना इतराना मेरे यारों
वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है
कर सको तो किसी को खुश करो
दुःख देते तो हजारों को देखा है !!