मैं अगर....
चाहूँ भी तो...शायद...
ना लिख सकू...उन लब्जों को...
जिन्हे पढकर....
तुम समझ सको...की मुझे तुमसे...
कितनी महोब्बत है...
चाहूँ भी तो...शायद...
ना लिख सकू...उन लब्जों को...
जिन्हे पढकर....
तुम समझ सको...की मुझे तुमसे...
कितनी महोब्बत है...
Frenz 4 Ever - Masti Unlimited
Hi Guest, Welcome to Frenz 4 Ever
Online |
Offline |
Online |
Offline |
|
|