कभी मुझ से खफा होकर, दूर तुम ना हो जाना
मुझे मेरी मोहब्बत में.. दगा तुम ना दे जाना ,
तुमही ने तो सिखाई है, मुहब्बत की ये परिभाषा
कभी मुझ से खफा होकर.. मुझे तुम भूल ना जाना,
मेरे दिल में बसाई है, जो तुमने प्यार की दुनिया
लगा के चोट दिल पे तुम.. दर्द सनम ना दे जाना,
मोहब्बत के नसीब में अक्सर, जुदा होना ही होता है
मेरे महबूब मगर मुझको.. ना तनहा छोड़ के जाना,
तुमही हो आस जीने की, नहीं तुम बिन कोई मेरा
मेरी इस आस को हमदम.. कभी ना तोड़ के जाना,
तुम मेरी मोहब्बत हो, मैं तुम बिन जी नहीं सकती
तुम मेरी मोहब्बत को.. कभी रुस्वां ना कर जाना |
"" बड़ी संगदिल है ये दुनिया.. ना तनहा मुझको जीने दे.. ना संग तुम्हारे जीने दे
मुझे मेरी मोहब्बत की.. तड़पने की.. रोने की.. सज़ा हमदम ना दे जाना, मुझे तुम भूल ना जाना ""