खुदा का शुक्र है,
वरना गुज़रती कैसे शाम,
शराब जिसने बनाई,
उसे हमारा सलाम,
ये जीते जी ही कराती है सैर जन्नत की,
इसीलिए ही तो शायद हुई शराब हराम,
ये मैकदा है यहाँ का निजाम उल्टा है,
जो लड़खा ना सका पी के हो गया बदनाम,
शराब इतनी शरीफाना चीज़ है आदम,
के पी के आदमी सच बोलता है सुबह-शाम...
वरना गुज़रती कैसे शाम,
शराब जिसने बनाई,
उसे हमारा सलाम,
ये जीते जी ही कराती है सैर जन्नत की,
इसीलिए ही तो शायद हुई शराब हराम,
ये मैकदा है यहाँ का निजाम उल्टा है,
जो लड़खा ना सका पी के हो गया बदनाम,
शराब इतनी शरीफाना चीज़ है आदम,
के पी के आदमी सच बोलता है सुबह-शाम...