*चिंता छोड़कर इस शेर का आनंद लिजिए -*
*हम तन्हा ही चले थे..*
*ज़िंदगी का दही जमाने*
*रास्ते में बूंदियाँ मिलती गईं...*
*और ज़िंदगी का रायता बन गया ।*
*हम तन्हा ही चले थे..*
*ज़िंदगी का दही जमाने*
*रास्ते में बूंदियाँ मिलती गईं...*
*और ज़िंदगी का रायता बन गया ।*